ये कायनात
12 12 112 2 1212 22
1.
ये कायनात तेरे दम से साँस लेती है,
ये आसमान जमीं सब रहम से चलती है।
2.
करम बिना न चले एक भी कदम मेरा,
ये जिंदगानी पनाहों में तेरी पलती हैं।
3.
सुबह की पहली किरण उतरे अंधियारों में ,
निगाहें तेरी वही आस मुझमें भरती है।
4.
ये आशियाने मुझे रखते छाँव में हरदम,
ये प्रेम की भरी बरसात जब बरसती है।
5.
तेरे वजह से खुशी से रहे सलामत सब,
ये मेरी नाँव की पतवार तुमसे चलती है।
@ मीनाक्षी कुमावत 'मीरा'
Swati chourasia
22-May-2022 01:53 PM
बहुत खूब 👌
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ऋषभ दिव्येन्द्र
25-Oct-2021 02:07 PM
बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ 👌👌
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Ankit Raj
18-Oct-2021 06:39 AM
सुंदर रचना
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